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अक्टूबर के टॉप-25000 GST पेयर्स ने नवंबर में अब तक नहीं भरा रिटर्न

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नई दिल्ली
जीएसटी अधिकारियों ने 25,000 ऐसे शीर्ष करदाताओं को चिन्हित किया है, जिन्होंने पिछले महीने (अक्टूबर में) जीएसटी रिटर्न दाखिला किया था, लेकिन नवंबर में अभी तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है और उन्हें व्यक्तिगत रूप से एसएमएस तथा ईमेल भेजकर इस बारे में जानकारी ली जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद यह भी तय किया गया कि लगभग 5.43 लाख करदाताओं के जीएसटी पंजीकरण को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है, जिन्होंने पिछले छह या अधिक महीनों से अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है। अभी तक लगभग 80 लाख बिक्री रिटर्न या जीएसटीआर-3बी दायर किए गए हैं।

सूत्रों ने कहा कि जीएसटी नेटवर्क, कर अधिकारियों के साथ इन 25,000 करदाताओं के साथ संवाद करेगा, जिन्होंने अक्टूबर महीने के लिए अंतिम तारीख 20 नवंबर 2020 तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल नहीं किया है। एक सूत्र ने बताया कि कर अधिकारियों से कहा गया है कि इस करदाताओं को 30 नवंबर तक जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रेरित करें।

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जीएसटीएन ने निकाला वीडियो बनाने का कॉन्टेस्ट, एक युवा इंजीनियर ने जीता लाख रुपये का इनाम

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नई दिल्ली
कभी कभी शौकिया तौर पर कुछ काम करना भी फायदा दे जाता है। ऐसा ही फायदा अहमदाबाद के युवा (Ahmadabad's Youth) इंजीनियर विराज आर. रावल को मिला है। उसने अपने शौक की बदौलत एक लाख रुपये का ईनाम जीता है। दरअसल, जीएसटी नेटवर्क (GSTN) ने GST-n-You कांटेस्ट 2020 निकाला था। इसमें जीएसटी (Goods and Service Tax) के अंतर्गत कारोबार के जिस्ट्रेशन के फायदे विषय पर एक वीडियो बनाना था। इसके लिए प्रथम पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार घोषित किया गया था। जीएसटी नेटवर्क ने यह प्रतियोगिता जीएसटी वस्तु एवं सेवा कर के फायदों को जन-भागीदारी के जरिये लोगों तक रचनात्मक रूप से पहुंचाने के लिए आयोजित की थी।

223 लोगों ने लिया था हिस्सा
जीएसटी प्रणाली के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure for GST System) तैयार करने वाले संगठन जीएसटी नेटवर्क (GSTN) ने बीते सितंबर महीने में इस GST-n-You कांटेस्ट का आयोजन किया था। इसमें 15 अक्टूबर 2020 तक कुल 223 प्रविष्टियां प्राप्त मिलीं। इन प्रतिस्पर्धी के वीडियों को विभिन्न कसौटियों पर कसा गया। उसके बाद ईनाम की घोषणा की गई।

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16 प्रतियोगियों को मिला ईनाम
जीएसटीएन से मिली जानकारी के अनुसार इन प्रविष्टियों का मूल्यांकन किया गया। उसके बाद तीन श्रेणियों में 16 प्रतिभागियों को विजेता घोषित किया गया। प्रथम पुरस्कार के लिए एक, द्वितीय पुरस्कार के लिए चार और तृतीय पुरस्कार के लिए 11 विजेता। प्रथम पुरस्कार विजेता के लिए जहां एक लाख रुपये के ईनाम की व्यवस्था थी तो द्वितीय पुरस्कार में 50 हजार रुपये। तृतीय पुरस्कार पाने वालों को 10 हजार रुपये। इसी प्रतिस्पर्धा में विराज रावल ने प्रथम पुरस्कार हासिल किया और उन्हें एक लाख रुपये का ईनाम मिला।

4 लोगों को मिला 50 हजार रुपये का ईनाम
इस प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार के लिए चार प्रतिभागियों को चुना गया। इनमें से हर व्यक्ति को 50,000 रुपये का नगद ईनाम मिला। इस श्रेणी में तिरूवनंतपुरम के अरुण विजयन, ने जीएसटी से करदाताओं और ग्राहकों को लाभ विषय पर विडियो बना कर पुरस्कार जीता। नवी मुंबई के गौतम मोहंती ने ई-इनवॉयस और एसएमएस आधारित ई-वे बिल जेनेरेशन (e way bill generation) के लाभ विषय पर क्रिएटिव ग्राफिक बना कर पुरस्कार जीता। कानपुर के शुभम जायसवाल ने जीएसटी से करदाताओं को लाभ विषय पर विडियो बना कर ईनाम हासिल किया। गुजरात के ही कच्छ की हेन्सी शाह ने रिफंड और इवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के बेसिक कंसेप्ट विषय पर विडियो बना कर पुरस्कार जीता।

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11 लोगों को मिला तृतीय पुरस्कार
इस प्रतिस्पर्धा में 11 अन्य प्रतिभागियों को तृतीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन्हें दस—दस हजार रुपये का ईनाम मिला। इन 16 कैश प्राइज विजेताओं के अलावा, 14 अन्य प्रतिभागियों को उनकी रचनात्मकता और मौलिकता के लिए प्रशस्ति-पत्र (सर्टिफिकेट) के लिए चुना गया है। इन्हें जीएसटीएन की तरफ एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

यहां देखें प्रतियोगिता के नतीजे एवं उनके वीडियो
जीएसटी नेटवर्क ने प्रतियोगिता के नतीजे www.gst.gov.in पर अपलोड कर दिए गए हैं। इसके अलावा विजेताओं द्वारा बनाए गए विडियो या क्रिएटिव को जीएसटीएन के यू-ट्यूब चैनल https://www.youtube.com/GoodsAndServicesTaxNetworkपर अपलोड कर दिया गया है। जीएसटीएन का कहना है कि विडियो अपलोड करने का मकसद जीएसटी के सभी स्टेकहोल्डरों, विशेषकर टैक्सपेयर समेत आम जनता में जीएसटी के बारे में साधारण जागरुकता पैदा करना है और इन सामग्रियों को वैधानिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

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विजेता को पुरस्कार की राशि बैंक अकाउंट में मिलेगी
जीएसटीएन का कहना है कि कोविड-19 (Covid-19) महामारी को देखते हुए जीएसटीएन ने पुरस्कार वितरण के लिए किसी समारोह का आयोजन न करने का निर्णय लिया है। विजेताओं को उनकी धनराशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी और सर्टिफिकेट स्पीड पोस्ट से उनके पते पर भेजे जाएंगे।

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GST Return: चेतावनी के साथ ऑटो जनेरेट हो रहे ITC से व्यापारियों में डर का माहौल

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सूरज सिंह, नई दिल्ली
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली (GST) में नियम 36(4) की वजह से कारोबारियों (Traders) में एक बार फिर से भय का माहौल व्याप्त हो गया है। इसी नियम को लेकर व्यापारियों में आक्रोश पहले से ही था, क्योंकि शुरू से ही इसे व्यापार विरोधी नियम के रूप में जाना गया है। कोविड-19 की वजह से इस साल फरवरी से लेकर अगस्त इस पर रोक रही, जिससे शांति बनी रही। अब चेतावनी के साथ आ रहे ऑटो जेनरेटिड इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की वजह से एक बार फिर से व्यापारियों में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है।

राहत के बजाए खौफ पैदा कर रही है सरकार
चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि 36(4) नियम की वजह से एक बार फिर से व्यापारी सांसत में हैं। व्यापारियों को ऐसी आशा थी कि कोरोना काल में सरकार कुछ राहत देगी, लेकिन इसके उलट GST के 36(4) नियम का खौफ पैदा कर रहा है। सीमित साधनों से काम करने वाले सामान्य व्यापारी इसका बोझ सहने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में सीटीआई की डिमांड है कि 36(4) को पूरी तरह से खारिज किया जाए।

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क्या है 36(4)
टैक्स एक्सपर्ट सीए राकेश गुप्ता के मुताबिक पिछले साल जीएसटी रेट बढ़ाए बगैर Tax Collection बढ़ाने की एक तरकीब इजाद की गई थी। जिसे GST में 36(4) के नाम से जाना जाता है। हर महीने कितना टैक्स जमा कराना है? अब ये सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करेगा कि कितना टैक्स बनता है, बल्कि अब ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपके सप्लायर की GSTR-1 तिमाही है या मंथली और स्पलायर ने अपनी GSTR-1 वक़्त पर फाइल की है या नहीं। अगर सप्लायर ने रिटर्न 11 तारीख के बाद फाइल की या उसकी ये रिटर्न मंथली ना होकर तिमाही है, तो टैक्सपेयर को बिक्री पर GST के साथ ही उस सप्लायर से लिए गए माल या सेवा का GST भी चुकाना होगा। अब GST का इनपुट टैक्स क्रेडिट उस महीने दिए जाने का प्रावधान है, जिस महीने की GSTR2B में वो नजर आएगा। सप्लायर द्वारा 11 तारीख तक फाइल किए गए GSTR1 से डीलर का GSTR2B बनता है।

एक उदाहरण के तौर पर समझें
सीए राकेश गुप्ता के मुताबिक, राम मोटर्स मोटर पार्टस का व्यापार करते हैं जिस पर 28 प्रतिशत GST होता है। नवंबर में उन्होंने 50 लाख रुपए की बिक्री की, जिस पर 14 लाख GST बना। नवंबर में ही अपने सप्लायर से 45 लाख रुपए की खरीद की, जिस पर 12 लाख 60 हजार रुपए का इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा। इस हिसाब से नवंबर का 1 लाख 40 हजार रुपए GST जमा कराना बनता है। 12 दिसंबर को उनके CA ने बताया कि आपको नवंबर का GST 1 लाख 40 हजार रुपए नहीं, बल्कि 14 लाख रुपए देना होगा। इसकी वजह थी कि 11 दिसंबर तक उनके सप्लायर ने अपना GSTR1 फाइल नहीं किया या तिमाही होने की वजह से चाहते हुए भी नहीं कर पाया। अगर वो 1 लाख 40 हजार रुपए GST पेमेंट के साथ रिटर्न फाइल करने की कोशिश करते हैं, तो GST पोर्टल बार-बार चेतावनी देता है कि आप गलत कर रहे हैं, आप कानून तोड़ रहे हैं और आपको इसके परिणाम भुगतने होंगे।

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एक साल पुराने 36(4) के नियम से अब हड़कंप क्यों?
राकेश गुप्ता कहते हैं कि बेशक 36(4) का नियम एक साल से ज्यादा पुराना है, लेकिन इस महीने हड़कंप मचा है। पोर्टल पर ऑटो जनरेट हो रहे ITC को लाल रंग के बॉक्स में दिखाया जा रहा है। क्लेम किया जाने वाला ITC अगर ऑटो जेनेरेटिड ITC से 10 प्रतिशत से ज्यादा है, तो 36(4) नियम के विरूद्ध 3B फाइल करने की वॉर्निंग दी जा रही है। यह भी जानने जैसा है कि सिर्फ वॉर्निंग दी जा रही है। रिटर्न फाइल करने से रोका नहीं जा रहा। ज्यादा ITC क्लेम करने वालों की भी रिटर्न फाइल हो रही है। पर ऐसे टैक्स पेयर पर कानूनी शिकंजा कभी भी जकड़ा जा सकता है। यह डर बना हुआ है।

वक़्त पर फाइल होने वाली GSTR1 के आंकड़े निराशाजनक
बृजेश गोयल का कहना है कि यहां कुल 1 करोड़ 8 लाख रेगुलर डीलर्स हैं, जिनमें से 54 लाख 63 हजार मंथली डीलर्स हैं। अक्टूबर महीने की 15 लाख 30 हजार GSTR1 ही 36(4) के लिए महत्वपूर्ण 11 नवंबर तक फाइल हुई थी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अक्टूबर महीने के लिए 93 लाख डीलर से मिले हुए ITC पर 36(4) का बोझ पड़ा। यानी 7 में सिर्फ 1 सप्लायर से की गई खरीद ही 36(4) की मार से बच पाई। जब इतने कम टैक्स पेयर अपना GSTR1 वक़्त पर फाइल करते हैं, तो 36(4) से होने वाले नुकसान और भी बढ़ जाता है।

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QRMP आने के बाद भी जारी रहेगा 36(4)
एक जनवरी से GST में जो नया सिस्टम QRMP आ रहा है, उसमें भी 36 (4) पहले की तरह लागू रहेगा। इसमें एक फर्क होगा कि जो तिमाही डीलर इसमें आते हैं, अगर वो पहले दो महीने का IFF अगले महीने की 13 तारीख तक फाइल कर देते हैं, तो उसका ITC दूसरी पार्टी को उसी महीने मिल जाएगा।

व्यापारी कारोबार करे या सप्लायर के पीछे पड़े कि रिटर्न भर दो
जीएसटी एक्सपर्ट सीए सचिन अग्रवाल का कहना है कि 36 (4) से ट्रेडर्स में भय की स्थिति है। पहले ही बिजनेस मंदा है। खरीद पर टैक्स देने के बावजूद आईटीसी का पूरा लाभ नहीं मिलने के कारण दोगुना टैक्स की पेमेंट करनी पड़ रही है। यदि सामने वाली पार्टी तिमाही रिटर्न भर रही है, तो व्यापारी यह सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि वो उससे सामान खरीदे या नहीं। क्योंकि इससे मंथली बैनेफिट नहीं मिलेगा। इससे कारोबारियों में डर का माहौल बढ़ सकता है। इस वक्त सारे क्लाइंट्स परेशान है। अब व्यापारी की एक और परेशानी आ गई कि वो अपने सप्लायर के पीछे पड़े कि भई रिटर्न भरो। जब तक वो नहीं भरेगा, तो उसका लाभ नहीं मिलेगा। ऐसी स्थिति में बिजनेसमैन व्यापार करे या सप्लायर के पीछे पड़े कि रिटर्न भरे। ये प्रोसेस हर महीने है। ट्रेडर्स की मांग है कि जब पक्का बिल मिल गया है, तो बिल की डिटेल डालकर इनपुट का बैनिफिट क्यों नहीं दिया जाए?

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Budget 2021: वेतनभोगियों को मिल सकती है आयकर छूट की सौगात

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नई दिल्ली
कोरोना काल में औरों से ज्यादा परेशानी झेल रहे निम्न मध्यम वर्गीय वेतनभोगी (Salaried) को आगामी बजट में आयकर छूट की सौगात मिल सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2021 का बजट पेश करते हुए इनके लिए कुछ राहत की घोषणा कर सकती हैं। उम्मीद है कि स्टेंडर्ड डिडक्शन लिमिट, मेडिकल इंश्योरेंस बेनिफिट और आयकर कानून की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा में कुछ बढ़ोतरी की घोषणा हो सकती है।

वर्ष 2020 रहा वेतनभोगियों के लिए कठिन साल
वर्ष 2020 देश के वेतनभोगी वर्ग के लिए बेहद कठिन साल रहा। इस दौरान अधिकतर निम्न मध्यम वर्गीय वेतनभोगियों को वेतन-कटौती का दंश झेलना पड़ा। इस दौरान काफी लोगों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। हालांकि लॉकडाउन खत्म होने के बाद काफी लोगों को फिर से नौकरी मिलनी शुरू हो गई है लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं रही है। इनके लिए न सिर्फ काम के घंटे बढ़े हैं बल्कि कई कर्मचारियों का काम एक कर्मचारी से लिया जा रहा है।

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मिल सकती है राहत
वित्त मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि आगामी बजट में वेतनभोगियों के लिए आयकर में कुछ छूट दिए जाने की तैयारी है। ताकि, उनकी जेब में कुछ अतिरिक्त पैसा बचे। कोरोना की वजह से जब लॉकडाउन हुआ था तो न सिर्फ इनकी सैलरी में कट हुआ था बल्कि घर में होने की वजह से इनके रिइबर्समेंट भी टैक्सेबल हो गए थे। इसके अलावा फूड बिल, इंटरटेनमेंट अलाउंस और पेट्रोल बिल आदि के रूप में मिलने वाली रकम भी टैक्सेबल हो गई। इसलिए इन्हें अगले बजट कुछ राहत दी जा सकती है।

बढ़ सकता है स्टेंडर्ड डिडक्शन की लिमिट
कोरोना के बाद बाजार में महंगाई का जबरदस्त झोंका आया है। पहले जो चाय पांच और सात रुपये में मिलती थी, वह 10 और 15 रुपये की हो गई। 10 रुपये में बिकने वाला समोसा 15 रुपये का हो गया। यही हालत अन्य वस्तुओं की भी है। सरकार का मानना है कि कम वेतन और बढ़ते खर्च के बीच तालमेल बिठाने के लिए वेतन भोगियों को कुछ राहत मिलनी चाहिए। यह क्या हो, अभी तय किया जाना है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि स्टेंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ा कर भी राहत दी जा सकती है। इस समय 50 हजार रुपये की जो स्टेंडर्ड डिडक्शन की सीमा है, इसे एक लाख रुपये तक किया जा सकता है।

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स्वास्थ्य बीमा मद में आयकर छूट की सीमा बढ़ सकती है
कोरोना के काल में डॉक्टरों ने फी बढ़ा दिया है। इसके साथ ही अस्पतालों में भी मरीजों की चिकित्सा में जुटे मेडिकल प्रोफेशनल्स द्वारा यूज किये जाने वाले मास्क, ग्लब्स और पीपीई किट आदि का खर्च भी मरीजों के बिल में थोपा जा रहा है। इसलिए स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम भरने में मिलने वाली छूट की सीमा को बढ़ाया जा सकता है।

इनकम टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव
अधिकारियों का संकेत है कि इस बार इनकम टैक्स स्लैब की सीमा में बढ़ोतरी हो सकती है। अभी ढाई लाख रुपये की आय पर कोई कर नहीं लगता है जबकि कुछ शर्तों की पूरा करने के बाद पांच लाख रुपये तक की आमदनी आयकर मुक्त हो जाती है। पिछले साल यूं तो नए टैक्स स्लैब लांच किए गए थे, लेकिन इसका लाभ उन्हीं को मिलेगा जो कि डिडक्शन या अन्य प्रोत्साहन का लाभ नहीं लेते। हो सकता है कि इस साल इसे आसान कर दिया जाए। हो सकता है कि बाजार में मांग बढ़ाने के लिए सरकार पांच लाख रुपये तक की आमदनी को कर मुक्त कर दे।

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कारपोरेट को पहले ही मिल चुकी है राहत
गौरतलब है सरकार ने बाजार में रौनक बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में पिछले साल ही कटौती की थी। दूसरी ओर RBI ने भी रेपो रेट में उल्लेखनीय कटौती की घोषणा कर चुकी है। कोरोना काल में भी उनके लिए एक के बाद एक घोषणा की गई है, जिनमें प्रोडक्शन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना भी शामिल है। इसलिए अब माना जा रहा है कि इस बार बारी इंडिविडुअल टैक्स पेयर्स की होगी।

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वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 28 दिसंबर तक 4.37 करोड़ आईटीआर दाखिल हुए

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नई दिल्ली
आयकर विभाग ने मंगलवार को बताया कि वित्त वर्ष 2019-20 (आकलन वर्ष 2020-21) के लिए 28 दिसंबर तक 4.37 करोड़ आईटीआर दाखिल किए गए। व्यक्तिगत आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2020 है और विभाग ने एकदम अंतिम समय का इंतजार किए बिना रिटर्न दाखिल करने के लिए कहा है, ताकि किसी परेशानी से बचा जा सके।

आयकर विभाग ने ट्वीट किया, ‘‘आकलन वर्ष 2020-21 के लिए 28 दिसंबर 2020 तक 4.37 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न पहले ही दाखिल किए जा चुके हैं। आशा है कि आपने भी अपना रिटर्न दाखिल किया है। यदि अभी तक दाखिल नहीं किया गया है, तो इंतजार न करें। आकलन वर्ष 2020-21 के लिए अपना आयकर रिटर्न आज ही दाखिल करें।’’

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आयकर विभाग का दिल्ली में छापा, 14 करोड़ की नकदी और 2 करोड़ का सोना जब्त

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नई दिल्ली
आयकर विभाग ने दिल्ली में कई जगहों पर छापा मारा है और बहुत सारी नकदी बरामद की है। दरअसल, बहुत सारी शेल इकाइयों के जरिए पैसों को इधर से उधर घुमाने की घटना सामने आई थी। इन इकाइयों के जरिए फर्जी खरीद-फरोख्त के बिल बनाए जा रहे थे और कई लेयर्स में बैंक खातों के जरिए पैसों को घुमाया जा रहा था। इन इकाइयों को 2 महीनों के बाद बंद कर दिया गया और नई इकाइयां खोल ली गईं।

इस छापे में करीब 300 करोड़ रुपये की फर्जी खरीद-फरोख्त का खुलासा हुआ है। इस छापे के बाद आयकर विभाग ने करीब 14 करोड़ रुपये की नकदी और लगभग 2 करोड़ रुपये का सोना जब्त किया है। इस मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है। बता दें कि आयकर विभाग लगातार ऐसे छापे मारकर टैक्स चोरों पर अपना शिकंजा मजबूत कर रहा है।

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वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 29 दिसंबर तक 4.54 करोड़ आयकर रिटर्न हुए फाइल

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नई दिल्ली
वित्त वर्ष 2019-20 (आकलन वर्ष 2020-21) के लिए 29 दिसंबर तक 4.54 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न दाखिल किए गए हैं। आयकर विभाग ने बुधवार को यह जानकारी दी। इससे पिछले वित्त वर्ष में तुलनात्मक अवधि तक 4.77 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए थे। बिना विलंब शुल्क के वित्त वर्ष 2018-19 (आकलन वर्ष 2019-20) के लिए अंतिम तिथि तक 5.65 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए थे। पिछले साल आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख को 31 अगस्त, 2019 तक बढ़ाया गया था।

आयकर विभाग ने ट्वीट किया, ‘‘आकलन वर्ष 2020-21 के लिए 29 दिसंबर तक 4.54 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न दाखिल किए जा चुके हैं।’’ दाखिल किये गये आयकर रिटर्न में से 2.52 करोड़ करदाताओं ने आईटीआर-1 दाखिल किया है। पिछले साल 29 अगस्त, 2019 तक यह आंकड़ा 2.77 करोड़ का रहा था। 29 दिसंबर तक एक करोड़ आईटीआर-4 दाखिल किए गए। वहीं 29 अगस्त, 2019 तक 99.50 लाख आईटीआर-4 दाखिल किए गए। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए व्यक्तिगत आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या घटी है जबकि कंपनियों और न्यासों द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न की संख्या में इजाफा हुआ है।

आईटीआर-1 सहज फॉर्म को कोई भी सामान्य निवासी जिसकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है, अपनी व्यक्तिगत आय के बारे में जानकारी देते हुये भर सकता है। वहीं आईटीआर- 4 सुगम फॉर्म को ऐसे निवासी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार और फर्म (एलएलपी को छोड़कर) द्वारा भरा जा सकता है जिनकी व्यवसाय और किसी पेशे से अनुमानित आय 50 लाख रुपये तक है। वहीं आईटीआर- 3 और 6 व्यवसायियों के लिये, आईटीआर- 2 आवासीय संपत्ति से आय प्राप्त करने वाले लोगों द्वारा भरा जाता है। आईटीआर- 5 फॉर्म एलएलपी और एसोसिएशन ऑफ पर्सन के लिये, वहीं आईटीआर- 7 उन लोगों के लिये है जिन्हें ट्रस्ट अथवा अन्य कानूनी दायित्वों के तहत रखी गई संपत्ति से आय प्राप्त होती है।

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ITR फाइल करने की आखिरी तारीख फिर बढ़ी, 10 जनवरी तक की मिली छूट!

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नई दिल्ली
आयकर विभाग ने एक बार फिर से आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख बढ़ा दी (ITR Filing date extended) है। अलग-अलग कैटेगरी के लिए आखिरी तारीख को अलग-अलग अवधि के लिए बढ़ाया गया है। इसमें सबसे अहम ये है कि जिन लोगों को अपना आईटीआर फाइल करने के लिए अपने अकाउंट्स को ऑडिट नहीं करवाना होता है और जो अपना रिटर्न आईटीआर-1 या आईटीआर-4 फॉर्म के जरिए भरते हैं, उन्हें अब 10 जनवरी तक की राहत मिल गई है।

ये तीसरी बार है जब आयकर विभाग ने इनकम टैक्स भरने की आखिरी तारीख बढ़ाई है। इससे पहले आयकर विभाग ने पहले 31 जुलाई से आखिरी तारीख को 30 नवंबर तक के लिए बढ़ाया था, फिर इसे 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ाया गया और अब इसे फिर से 10 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है।


ITR Last Date: अब 10 जनवरी है आखिरी तारीख, जानिए इसके बाद आईटीआर भरने पर क्या होगा!

इनके लिए 15 फरवरी हुई लास्ट डेट
जिन करदाताओं के अकाउंट्स ऑडिट करने की जरूरत होती है, उनके लिए आयकर रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी गई है।

वहीं आयकर विभाग ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट देने की आखिरी तारीख को भी 15 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया है। बता दें कि अभी इसकी आखिरी तारीख 31 दिसंबर थी। 'विवाद से विश्वास' स्कीम के तहत अपना डिक्लेरेशन देने की आखिरी तारीख को भी 31 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

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GST: ऑल टाइम हाई जीएसटी कलेक्शन से सरकार खुश, व्यापारी मायूस, जानें क्यों

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सूरज सिंह, नई दिल्ली
बीते दिसंबर में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कलेक्शन (GST Collection) ऑल टाइम हाई क्या रहा, सरकार की बाछें खिल गई हैं। आर्थिक मोर्चे पर सरकार इसे खुशखबरी के तौर पर देख रही है। लेकिन, ट्रेडर्स (Traders) मायूस हैं। इनका मानना है कि ढेर सारी वस्तुओं टैक्स में बढ़ोतरी हुई है। इससे सरकार की तो झोली भर रही है, लेकिन बिक्री प्रभावित हुई है। वित्त मंत्रालय (Union Finance Ministry) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते दिसंबर में जीएसटी मद में 1,15,174 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। यह अभी तक का रिकार्ड (All Time High) है।

कारोबारियों की सेल नहीं बढ़ी
राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो स्पेयर पार्ट्स की के सबसे बड़े मार्केट कश्मीरी गेट स्थित ऑटोमेटिव पार्ट्स मर्चेंट असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी विनय नारंग का कहना है कि बहुत सारे आइटम्स के रेट में 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इसी पर जीएसटी लगता है, जिससे सरकार का खजाना बढ़ना तय है। व्यापारिक दृष्टि से कारोबारियों की सेल नहीं बढ़ी है, बल्कि तमाम प्रॉडक्ट के दाम बढ़ने से जीएसटी का अमाउंट बढ़ा है।

शेयर कारोबार में हेराफेरी के लिए सेबी ने मुकेश अंबानी और रिलायंस पर लगाया भारी जुर्माना, जानिए कैसे हुई ये गड़बड़ी!

पैसों की होगी किल्लत
नारंग का कहना है कि व्यापारी बैंक लिमिट पर बिजनेस करते हैं। मान लिया जाए कि किसी ट्रेडर की एक करोड़ रुपए की लिमिट है। अब चीजों के दाम बढ़ गए, तो व्यापारी को पैसों की किल्लत होगी। ऐसे में बिजनेस कैसे होगा? बैंक अपने आप तो व्यापारियों की लिमिट वैल्यू नहीं बढ़ाएंगे। अब लोन पर कारोबार कर रहे व्यापारियों की दिक्कतें बढ़ेंगी। लोन बढ़वाने के लिए बैंकों के चक्कर काटने पड़ेंगे, जो कि आसान काम नहीं है। छोटी-छोटी चीजों से भी व्यापारी के बिजनेस पर बड़ा असर डालती हैं। जीएसटी का कलेक्शन तो बढ़ गया, लेकिन ट्रेडर्स के सामने मुश्किलें भी आई हैं।

वर्किंग कैपिटल बढ़ी, सेल घटी
हार्डवेयर एंड सेनेटरी कारोबारी ललित अग्रवाल का कहना है कि सरकार खुश है कि जीएसटी कलेक्शन 1.15 लाख करोड़ रुपए हो गया। हकीकत यह है कि व्यापारियों पर डबल मार पड़ी है। तमाम आइटम्स के कच्चे माल की कीमत 25 से 150 प्रतिशत तक बढ़ गई है। प्लास्टिक के रॉ मैटिरयल के रेट तीन महीने में 100 से 150 प्रतिशत तक बढ़ गए। इससे व्यापारियों की वर्किंग कैपिटल बढ़ गई और सेल घटी है। महंगाई की वजह से सरकार के जीएसटी कलेक्शन की फिगर बढ़ी है। पिछले साल के मुकाबले दिल्ली में बिजनेस कम हुआ है। दिसंबर 2020 का जीएसटी कलेक्शन भी कम रहा। अब बैंक से भी व्यापारियों को सपोर्ट नहीं मिल रहा है। 2-3 महीने पहले एमएसएमई लोन 20 प्रतिशत एक्सट्रा मिला है। सरकार को चाहिए कि एमएसएमई लोन 20 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक कर दे, ताकि बाजार में फिर से कारोबारी सुचारू रूप से बिजनेस कर सके।

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7 प्रतिशत घटा दिल्ली का जीएसटी कलेक्शन
दिसंबर 2019 के मुकाबले दिसंबर 2020 में दिल्ली का जीएसटी कलेक्शन करीब 7 प्रतिशत तक घटा है। 2019 के दिसंबर में दिल्ली से 3,698 करोड़ रुपए का जीएसटी कलेक्शन हुआ था, वहीं 2020 दिसंबर में यह घटकर 3,551 करोड़ रुपए ही रहा। इसमें सीजीएसटी, एसजीएसटी और आईजीएसटी शामिल है। ट्रेडर्स का मानना है कि दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के प्रोटेस्ट की वजह से राजस्व में नुकसान हुआ है। एनसीआर से छोटे व्यापारी और ग्राहक दिल्ली में खरीदारी के लिए नहीं आ पा रहे हैं।

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इस साल 5 प्रतिशत अधिक भरे गए आयकर रिटर्न, आइए जानते हैं कितने लोगों ने भरा ITR

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नई दिल्ली
इस साल आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या करीब 5 प्रतिशत बढ़कर लगभग 6 करोड़ तक पहुंच गयी। ज्यादा संख्या में कंपनियों और इकाइयों द्वारा भरे गये रिटर्न के कारण आयकर रिटर्न की संख्या बढ़ी है। आयकर विभाग के अनुसार 31 मार्च, 2020 को समाप्त वित्त वर्ष 2019- 20 के लिये 10 जनवरी 2021 तक 5.95 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न दाखिल किये गये। व्यक्तिगत तौर पर आयकर रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 10 जनवरी तक थी जबकि कंपनियों के लिये यह 15 फरवरी है।

कर विभाग ने ट्विटर पर लिखा है कि आकलन वर्ष 2020-21 के लिये 10 जनवरी, 2021 तक 5.95 करोड़ आईटीआर भरे गये। वहीं पिछले आकलन वर्ष के लिये 10 सितंबर, 2019 तक 5.67 करोड़ आईटीआर भरे गये थे। वित्त वर्ष 2019-20 के लिये कुल रिटर्न पिछले वर्ष के मुकाबले 33.5 लाख अधिक दाखिल किये गये। पिछले साल आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 अगस्त, 2019 तक 5.61 करोड़ आईटीआर भरे गये थे। आयकर विभाग ने करदाताओं और कर पेशेवरों का आभार जताया है और कहा कि आकलन वर्ष 2020-21 के लिये आईटीआर के जो आंकड़े दिये गये हैं, वह 10 जनवरी, 2021 तक के हैं।

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019-20 के लिये व्यक्तिगत तौर पर भरे गये कर रिटर्न की रफ्तार धीमी रही है जबकि कंपनियों तथा ट्रस्ट द्वारा भरे गये रिटर्न की संख्या बढ़ी है। आयकर विभाग के अनुसार इस साल 10 जनवरी तक व्यक्तिगत रिटर्न के तौर पर 2.99 करोड़ से अधिक आईटीआर-1 भरे गये जो 10 सितंबर, 2019 तक भरे गये 3.11 करोड़ के मुकाबले कम है। वहीं 10 जनवरी तक 1.49 करोड़ आईटीआर-4 भरे गये हैं जो 10 सितंबर, 2019 तक 1.29 करोड़ थे। आईटीआर-1 सहज फॉर्म है जिसे कोई भी सामान्य निवासी जिसकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है, अपनी व्यक्तिगत आय के बारे में जानकारी देते हुये भर सकता है।

वहीं आईटीआर- 4 सुगम फॉर्म को ऐसे निवासी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार और फर्म (एलएलपी को छोड़कर) द्वारा भरा जा सकता है जिनकी व्यवसाय और किसी पेशे से अनुमानित आय 50 लाख रुपये तक है। आंकड़े के अनुसार 46.12 लाख आईटीआर-2, 10 जनवरी तक भरे गये। जबकि 10.50 लाख आईटीआर-5 और 4.72 लाख आईटीआर-6 भरे गये। पिछले साल 10 सितंबर, 2019 तक 49,398 आईटीआर-6 और 5.89 लाख आईटीआर-5 भरे गये थे।

वहीं 10 जनवरी, 2021 तक 1.46 लाख आईटीआर- 7 भरे गये जबकि पिछले साल यह संख्या 65,298 रही थी। आईटीआर- 6 व्यवसायियों के लिये, आईटीआर- 2 आवासीय संपत्ति, पूंजी लाभ और विदेशी संपत्ति से आय प्राप्त करने वाले लोगों द्वारा भरा जाता है। आईटीआर- 5 फॉर्म एलएलपी और एसोसिएशन ऑफ पर्सन के लिये, वहीं आईटीआर- 7 उन लोगों के लिये है जिन्हें ट्रस्ट अथवा अन्य कानूनी दायित्वों के तहत रखी गई संपत्ति से आय प्राप्त होती है।

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